आप टीनएज में हैं—कैरियर, दोस्त और डिजिटल दुनिया में सक्रिय—और आपकी आंखें इस सब का प्रवेश द्वार हैं। उन्हें स्वस्थ रखना उतना ही ज़रूरी है जितना कि अपने फोन को चार्ज रखना! डिजिटल उपकरणों के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए, आंखों की देखभाल अब एक विकल्प नहीं, बल्कि एक ज़रूरत है।
1. डिजिटल आई स्ट्रेन से लड़ें (Combating Digital Eye Strain – DES)
डिजिटल स्क्रीन (स्मार्टफोन, लैपटॉप, टैबलेट) से निकलने वाली नीली रोशनी और लगातार देखना आपकी आंखों की मांसपेशियों पर ज़बरदस्त तनाव डालता है, जिसे डिजिटल आई स्ट्रेन (DES) कहते हैं।
20-20-20 नियम ही कुंजी है: हर 20 मिनट बाद, कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी वस्तु को देखें। यह आँखों की फोकस करने वाली मांसपेशियों (Ciliary Muscles) को आराम देता है।

जागरूक होकर पलकें झपकाएं (Blink Consciously): स्क्रीन देखते समय हम सामान्य से 60% कम पलकें झपकाते हैं, जिससे आँखें सूख जाती हैं। हर ब्रेक में जानबूझकर 10 बार पलकें झपकाएं ताकि आंखों में नमी बनी रहे।
सही पोस्चर (Ergonomics): स्क्रीन आपकी आंखों के स्तर से थोड़ी नीचे (लगभग 20 डिग्री) होनी चाहिए और आपसे कम से कम 25 इंच (एक हाथ की दूरी) दूर होनी चाहिए। लैपटॉप को ऊपर उठाने के लिए स्टैंड का इस्तेमाल करें।
ब्राइटनेस सेटिंग: स्क्रीन की ब्राइटनेस को कमरे की रोशनी के साथ संतुलित रखें। इसे ‘ऑटो-ब्राइटनेस’ मोड पर सेट करना सबसे अच्छा है।
2. बाहर का समय: भविष्य की दृष्टि का कवच (Outdoor Time: The Shield for Future Vision)
प्राकृतिक धूप (Natural Light) में समय बिताना मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) के बढ़ते खतरे को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है।
रोज़ाना 60 मिनट की “सनशाइन खुराक”: कोशिश करें कि पढ़ाई या स्क्रीन के अलावा रोज़ाना कम से कम 60 मिनट बाहरी गतिविधियों में बिताएं। इससे आपकी आंखें रिलैक्स होती हैं और उन्हें प्राकृतिक रोशनी मिलती है।
UV सुरक्षा को गंभीरता से लें: धूप में बाहर निकलते समय हमेशा 100% UV-A और UV-B सुरक्षा वाले धूप के चश्मे (Sunglasses) पहनें। सूरज की किरणें कॉर्निया और लेंस को स्थायी नुकसान पहुंचा सकती हैं, जिससे बुढ़ापे में मोतियाबिंद (Cataracts) का खतरा बढ़ जाता है।
टोपी का उपयोग: टोपी या कैप, विशेष रूप से दोपहर के समय, 50% तक UV एक्सपोजर को कम कर सकती है।
3. पोषण: आंखों के लिए सुपरफूड्स (Nutrition: Superfoods for Eyes)
आपकी डाइट सीधे तौर पर आपकी आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। कुछ पोषक तत्व मैक्यूलर (रेटिना का केंद्र) को स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक हैं।

ल्यूटिन (Lutein) और ज़ेक्सैन्थिन (Zeaxanthin): ये ‘आँखों के विटामिन’ रेटिना को नीली रोशनी से बचाने वाले फ़िल्टर की तरह काम करते हैं। इसके लिए पालक, केल (Kale), और अंडे (yolk) खाएं।
ओमेगा-3 फैटी एसिड: ये आंखों के सूखेपन (Dry Eyes) को कम करने और रेटिना के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। अखरोट, चिया सीड्स, अलसी के बीज और फैटी फिश (जैसे सैल्मन) का सेवन करें।
विटामिन C और E: ये एंटीऑक्सीडेंट आंखों को ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाते हैं। खट्टे फल (संतरा, नींबू), स्ट्रॉबेरी, गाजर और बादाम अपनी डाइट में शामिल करें।
पानी (Hydration): शरीर में पर्याप्त पानी (हाइड्रेशन) आंखों के आंसू (Tears) के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है, जो सूखापन और जलन को रोकता है।
4. स्वच्छता और संपर्क लेंस सुरक्षा (Hygiene and Contact Lens Safety)
आंखों के संक्रमण से बचाव के लिए स्वच्छता पहली प्राथमिकता है।
आंखें रगड़ने से बचें: खुजली होने पर आंखों को रगड़ने से कॉर्निया को नुकसान हो सकता है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
कॉन्टैक्ट लेंस: लापरवाही न करें! लेंस पहनने वाले टीनएजर्स को सख्त सफाई नियमों का पालन करना चाहिए। लेंस को गंदे हाथों से छूना, या लेंस पहनकर सोना, गंभीर आई इन्फेक्शन (जैसे कॉर्नियल अल्सर) का कारण बन सकता है, जिससे स्थायी दृष्टि हानि हो सकती है।
मेकअप हटाना: रात में आंखों का मेकअप हमेशा हटाकर सोएं, खासकर मस्कारा और आईलाइनर, क्योंकि ये आंखों की ग्रंथियों को ब्लॉक कर सकते हैं।
5. नियमित जांच और सुरक्षा (Regular Checkups and Safety)
नियमित नेत्र जांच केवल नंबर बदलने के लिए नहीं होती, बल्कि यह आंखों की गंभीर बीमारियों का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका है।
सालाना विस्तृत जांच: भले ही आपको चश्मे की ज़रूरत न हो, लेकिन हर साल एक नेत्र विशेषज्ञ (Ophthalmologist/Optometrist) से विस्तृत जांच कराएं। कई समस्याएं (जैसे ग्लूकोमा) शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखाती हैं।
किसी भी लक्षण को नज़रअंदाज़ न करें: लगातार सिरदर्द, आंखों में लाली, बहुत ज़्यादा पानी आना, या अचानक धुंधला दिखना—ये सब चेतावनी के संकेत हैं जिन पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
खेलों में सुरक्षात्मक आईवियर:क्रिकेट, बास्केटबॉल, फुटबॉल या अन्य तेज़ गति वाले खेलों में आंखों की चोट का खतरा होता है। ऐसे खेलों में हमेशा उचित फिटिंग वाले सुरक्षात्मक चश्मे (Sports Protective Eyewear) का उपयोग करें। (B)पालकों के लिए निर्देश- 14 साल की आयु से पहलेञकिसी किशोर को व्यक्तिगत उपयोग हेतु मोबाइल न दें । टीवी 1 घंटा देख सकते हैं । सोशल मीडिया 16 वर्ष उम्र के बाद। (C ) शिक्षकों के लिए दिशानिर्देश- किसी भी छात्र को प्रोजेक्ट वर्क/ होम वर्क डिजिटल माध्यम से न दियें जाएं। ऐसे में किसी भी किशोर को कम उम्र में ही मोबाइल चलाने की लत लग सकती है ।

