एक पिता
एक पिता वो खामोश चेहरा होता है
जो अंदर से नरम और बाहर से सख्त होता है ||
उनके गुस्से और कठोरता में चिंता और प्यार छुपा होता है
पर शायद ही किसी ने इस प्यार को समझा होगा ||
पिता है तो संसार की धूप भी परे हैं
क्योंकि वह हमारे लिए इस संसार से लड़े हैं ||
पिता वह पेड़ है जो हमारे बचपन और जवानी तक हमें छाया देते हैं,
हमें अपना खून पसीना रंग रूप और काया देते हैं ||
वही बच्चे जवान होकर पूछते हैं कि आपने किया ही क्या है ||
सब हमारी मेहनत ने किया आपने दिया ही क्या है
यह सुन पेड़ के पत्ते सूखनेऔर झड़ने लगते
है,
पिता की आंखों से अविरल आंसू बहने लगते हैं, हाय पिता की किस्मत आज फिर से खामोश चेहरा हो जाता है
अपनी खामोशी को लेकर वह हमेशा के लिए सो जाता है ||
” पूर्णपावनकृति”
दिन की शुरुवात एक प्यारी सी कविता के साथ , आप भी आनंद ले इस कविता का ।
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