कविता
एक माता-पिता ने अपने जीवन में कई सपने संजोए
की एक नन्हा राजकुमार एक दिन उनके घर भी आए
भगवान ने उनका यह सपना पूरा किया
वरदान में उन्हें एक राजकुमार दिया , उनका घर खुशियों से भर गया
उनका सूना आंगन किलकारी से भर गया,
पर इन खुशियों को वह कुछ पल ही बुन पाते हैं, उनका बचपन और यौवन ही चुन पाते हैं

बच्चों की सफलता के लिए वह कुछ भी कर जाते हैं, पर वही बच्चे जब सफल होते हैं
तब माता-पिता अपने आप को अकेले पाते हैं,
कई कर्ज होते हैं माता-पिता के बच्चों के जीवन में, तो कई फर्ज भी तो होते होंगे बच्चों के माता-पिता के जीवन में
कि बुढ़ापे में बेटा उनके आंख का तारा बने, और उनके जीवन में जीने का सहारा बने
पर बच्चे उन्हें भूल कर अपने जीवन में आगे निकल जाते हैं,
तब वही माता-पिता अपने आप को जीवन में अकेले पाए हैं
आज एक नन्हा राजकुमार आगे सफल होकर निखर गया, और माता-पिता का प्यार से संजोया सपना बिखर गया ||
``पूर्णपावनकृति "