महादेव सट्टा ऐप के मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकार को दुबई से भारत लाया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह कार्रवाई एक सप्ताह के अंदर हो सकती है। इसे लेकर विदेश मंत्रालय को यूएई सरकार से मंजूरी मिल गई है। उसके भारत आने के बाद कई बड़े खुलासे हो सकते हैं।
महादेव सट्टेबाजी ऐप मामले में मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर को जल्द ही यूएई से भारत लाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई अगले एक हफ्ते के अंदर हो सकती है। चंद्राकर पर 5,000 करोड़ रुपए के सट्टेबाजी रैकेट चलाने का आरोप है। इस मामले में विदेश मंत्रालय की मदद से यूएई सरकार से प्रत्यर्पण की मंजूरी मिल गई है।
भिलाई का रहने वाला है सौरभ चंद्राकरसौरभ चंद्राकर छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला है। कभी जूस की दुकान चलाने वाला चंद्राकर आज एक बड़े अंतरराष्ट्रीय सट्टेबाजी सिंडिकेट का सरगना बन गया। इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के बाद उसे दिसंबर में दुबई में हिरासत में लिया गया था। फिलहाल वह दुबई में नजरबंद है। इससे पहले उसके साथी रवि उप्पल को भी दुबई में ही गिरफ्तार किया गया था।
दुबई से चला रहा था सट्टेबाजी एपप्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अनुसार, चंद्राकर और उप्पल दुबई से महादेव सट्टेबाजी नेटवर्क चलाते थे। इस नेटवर्क में पुलिस, नौकरशाह और नेता भी शामिल थे, जो गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने में उनकी मदद करते थे। मलेशिया, थाईलैंड, भारत और यूएई में कॉल सेंटर खोले गए थे, जहां से मोबाइल ऐप के जरिए सट्टेबाजी का धंधा चलता था।
पूरे देश में फैला है नेटवर्कईडी का दावा है कि इस नेटवर्क में देशभर में फैले 4,000 से ज्यादा ‘पैनल ऑपरेटर’ थे, जो करीब 200 ग्राहकों को सट्टा लगाने में मदद करते थे। इस धंधे से दोनों आरोपी हर दिन कम से कम 200 करोड़ रुपए कमाते थे। इस पैसे से उन्होंने यूएई में अपनी एक अलग दुनिया बना ली थी।
417 करोड़ रुपए की संपत्ति अटैचपिछले साल सितंबर में, ईडी ने मुंबई, कोलकाता और भोपाल में 39 जगहों पर छापेमारी कर 417 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। जांच में पता चला कि चंद्राकर के दो अन्य साथी, अनिल और सुनील दमानी, भारत में इस नेटवर्क को चलाने में मदद करते थे। अनिल दमानी का काम पुलिस, नौकरशाहों और नेताओं को पैसे देकर चुप कराना था।
पूर्व अधिकारी के भी नामईडी ने छत्तीसगढ़ पुलिस के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, चंद्र भूषण वर्मा, का नाम भी इस मामले में उजागर किया है। वर्मा को यूएई से भेजे गए पैसे से रिश्वत दी जाती थी। यह पैसा रायपुर के एक जौहरी के जरिए वर्मा तक पहुंचता था।