गोपालगंज में पुलिस को एक बड़ी सफलता मिली है. गोपालगंज की पुलिस ने गुरुवार को 50 ग्राम रेडियो एक्टिव पदार्थ जब्त किया है, कैलिफोर्नियम होने का संदेह है. तीन लोगों के पास से बरामद इस सामान की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब ₹850 करोड़ रुपये आंकी गई है. इसका इस्तेमाल किस रूप में किया जाना था? इसका खुलासा नहीं हो सका है. पुलिस के वरीय अधिकारियों की टीम जांच कर रही है.
कुचायकोट थाना क्षेत्र से तीन तस्कर गिरफ्तारमिली जानकारी के अनुसार कुचायकोट थाना क्षेत्र के यूपी-बिहार के बलथरी चेकपोस्ट पर यह कार्रवाई की गई है. पुलिस की टीम तीनों तस्करों से गहन पूछताछ कर रही है. एसपी स्वर्ण प्रभात ने न्यूक्लियर जैसा ही पदार्थ बरामद होने की पुष्टि की है. एसपी ने कहा है कि जब्त रेडियो एक्टिव पदार्थ की जांच आईआईटी मद्रास से कराने के लिए संपर्क किया गया है. इसे गुजरात से तस्करी कर लाया जा रहा था.
गिरफ्तार तस्करों में उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिला के तमकुही राज थाना क्षेत्र के परसौनी बुजुर्ग निवासी चंद्रदेव प्रसाद के पुत्र छोटेलाल प्रसाद, गोपालगंज के नगर थाना क्षेत्र के कौशल्या चौक निवासी योगेंद्र शाह के पुत्र चंदन गुप्ता और महम्मदपुर थाना क्षेत्र के कुशहर मठिया निवासी हरेंद्र राम के पुत्र चंदन राम शामिल हैं.
पांडिचेरी पुलिस को दी गई है जानकारी- एसपी
एसपी ने कहा कि पांडिचेरी पुलिस से संपर्क किया गया है और लगभग 50 ग्राम वजनी कैलिफोर्नियम की जब्ती के बारे में बताया गया है. एसपी ने कहा, “अगर इंटरनेट और अन्य स्रोतों पर उपलब्ध जानकारी को संकेत माना जाए तो खेप की कीमत लगभग 850 करोड़ रुपये आंकी गई है. वहीं, इस बरामदगी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है. गोपालगंज से लेकर पटना तक के अधिकारी इस मामले की जांच में जुटे हुए हैं.
इसका उपयोग कैंसर चिकित्सा में भी होता है। मेडिकल फील्ड में इसका इस्तेमाल कैंसर मरीजों और एक्सरे मशीनों में किया जाता है। कैलिफोर्नियम एक आइसोटोप Cf-252 बेहद ताकतवर न्यूट्रोन सोर्स होता है। यह न्यूट्रोन न्यूक्लियर रिएक्टर्स को शुरू करने में मददगार होता है।
परमाणु बम में इस्तेमाल होता है कैलिफोर्नियमउन्होंने बताया कि जब्त पदार्थ के कैलिफोर्नियम होने का संदेह है। जब्त रेडियो एक्टिव पदार्थ की जांच आईआईटी मद्रास से कराने के लिए संपर्क किया गया है। पूछताछ में यह बात सामने आई है कि इसे गुजरात से तस्करी कर लाया जा रहा था। तस्कर इसका इस्तेमाल किस रूप में करने वाले थे, इसका पता अभी तक नहीं चल सका है