स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक रायपुर छत्तीसगढ़ में सोमवार को संपन्न हुई।

By pallav

स्वदेशी जागरण मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक रायपुर छत्तीसगढ़ में सोमवार को संपन्न हुई। 2 दिन चली इस बैठक में स्वदेशी जागरण मंच एवं स्वावलंबी भारत अभियान से जुड़े प्रदेश स्तर के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।

बैठक की जानकारी देते हुए मंच के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. धर्मेन्द्र दुबे ने बताया कि बैठक में दो प्रस्ताव पारित किए गए।

। “संभावित भारत अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौता में किसान और लघु उद्योगों के हितों को मिले प्राथमिकता”देशभर से आए प्रमुख पदाधिकारीयों ने चर्चा उपरांत प्रस्ताव पारित किया जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा कई देशों से आयात पर उच्च टैरिफ लगाने की अपनी मंशा की घोषणा और वैश्विक मुक्त व्यापार प्रणाली पर किए गए हमले के कारण अमेरिका द्वारा भारत सहित अन्य देशों के बीच द्विपक्षीय समझौते होने की प्रबल संभावना को देखते हुए यह सुविचारित मत प्रकट किया कि भारत को बहुपक्षीय व्यापार समझौते के बजाय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के साथ अपने विदेशी व्यापार को बढ़ाना चाहिए। अमेरिका और अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करते समय राष्ट्रीय हितों की रक्षा की जानी चाहिए विशेष रूप से हमारे किसान और छोटे उद्योगों के हितों की रक्षा अनिवार्य हो।

इस प्रस्ताव की चर्चा का नेतृत्व करते हुए स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह संयोजक डॉ अश्विनी महाजन ने कहा कि पूरा विश्व भू आर्थिक विखंडन के एक सिंड्रोम से गुजर रहा है, इस समय सफलता की एकमात्र कुंजी स्वदेशी दर्शन पर आधारित राष्ट्र प्रथम की नीति है।अमेरिका मुक्त व्यापार प्रणाली का सबसे बड़ा समर्थक था जिसका विरोध स्वदेशी जागरण मंच के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी ने शुरू किया और बताया कि उदारीकरण वैश्वीकरण और निजीकरण की नीति भारत के लिए फल दायक नहीं है। अमेरिका की मुक्त व्यापार नीति ही किसी न किसी तरह से अर्थव्यवस्था में मंदी और बढ़ती बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार है यह डोनाल्ड ट्रंप अच्छी तरह से समझते हैं क्योंकि इसके कारण चीन से सस्ते आयात का रास्ता खुल गया जिसने अमेरिका सहित भारत जैसे देशों के उद्योग धंधों को चौपट कर दिया। महाजन ने स्पष्ट किया कि स्वदेशी जागरण मंच अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के खिलाफ नहीं है बल्कि मंच का दृढ़ विश्वास है कि बहुपक्षीय व्यापार समझौते अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे नहीं है क्योंकि सभी देशों को मोस्ट फेवरेट नेशन का दर्जा देने का कोई मतलब नहीं है। अतः इस प्रस्ताव के माध्यम से स्वदेशी जागरण मंच ने पुरजोर और अपील की है कि जमीनी स्तर पर उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया जाए, हमारा विकास ग्राम आधारित विकास हो। भारत के लिए आर्थिक विकास का सही पथ यही होगा।“भारतीय सामाजिक आर्थिक चिंतन पर आधारित महान और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण”आठ एवं नो मार्च को आयोजित हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद बैठक में स्वदेशी जागरण मंच द्वारा एक प्रस्ताव यह भी पारित किया गया है जिसमें भारतीय सामाजिक आर्थिक चिंतन पर आधारित महान और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण किया जाए इसके लिए 8 बिंदुओं पर बात रखी गई है जिसमें इन बिंदुओं के आधार पर ही महान एवं समृद्ध भारत का निर्माण संभव है। स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सहसंयोजक प्रोफेसर राजकुमार मित्तल ने इस प्रस्ताव के तहत बताया कि भारत को विकेंद्रीकरण की अर्थव्यवस्था को अपनाना होगा जहां घर.घर एवं गांव आत्मनिर्भर बन सके जिला उद्योग केंद्र और कृषि विज्ञान केंद्र हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था एमएसएमई क्षेत्र उद्यमिता प्रोत्साहन और बेरोजगारी गरीबी और असमानताओं जैसी समस्याओं को हल करने तथा नियोजन प्रणाली को जिला स्तर पर मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। स्वरोजगार एवं उद्यमिता केंद्रित विकास हमारे भारत को महान और समृद्ध बना सकता है। असंगठित क्षेत्र का संरक्षण एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर भारत लगभग 65% लोग जो गांव में रहते हैं उनका कुशल ग्रामीण अर्थव्यवस्था के माध्यम से निवेश, नवाचार प्रोत्साहन और संस्थाओं को मजबूत कर भारत को समृद्ध बनाने में योगदान हो सकता है। भारत के किसानों को नई व कुशल प्रौद्योगिकियों कृषि प्रथाओं कृषि स्टार्टअप और एफपीओ को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित कर उनकी आय को बढ़ाया जा सकता है जो भारत को समृद्ध राष्ट्र के निर्माण में सहयोगी सिद्ध होगा जनसंख्या लाभांश का प्रभावी उपयोग हो। युवा जनसंख्या भारत की ताकत है इस ताकत को पहचानना होगा इसके लिए कौशल और व्यावसायिक प्रशिक्षण, उद्यमिता व स्वरोजगार को प्रोत्साहन ,गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं में सुविधा, पोषण, महिलाओं को सशक्त बनाना, बढ़ते कार्यबल के लिए रोजगार के अवसर एवं वातावरण को व्यापार के अनुकूल बनाने और भारत की युवा शक्ति को उद्यमिता की ओर अग्रसर करने की वर्तमान आवश्यकता है। स्वदेशी जागरण मंच ने इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल प्लेटफार्म के कारण बढ़ रहे सांस्कृतिक प्रदूषण को रोकने के लिए भी अपनी बात कही है । राष्ट्रीय नीति के माध्यम से इंटरनेट मीडिया कंपनियों द्वारा प्रदान की जाने वाली सामग्री को नियंत्रित किए जाने की आवश्यकता एवं चिंता जाहिर की है उदाहरण दिया है कि ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों में 16 वर्ष से कम आयु के युवाओं के लिए इंटरनेट के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाया है ऐसे में भारत की सरकारें नियम और भारतीय परिवार के संस्कार युवाओं को बच्चों को इस सांस्कृतिक प्रदूषण से रोक सकते हैं। चीन से आयात पर रोक एवं प्रवासी भारतीयों की क्षमता का उपयोग भारत के विकास के लिए किया जाए | आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स के उपयोग पर स्पष्ट नीति का निर्माण हो यह मांग भी मंच की राष्ट्रीय परिषद बैठक में प्रस्ताव के माध्यम से उभर कर आयी है। मंच का मानना है कि एआई का अंधाधुंध अनुप्रयोग बेरोजगारी की समस्या को और बढ़ा देगा सभी हित धारकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि आई का उपयोग सामाजिक मूल्यों के अनुरूप व आई संचालित उत्पादकता समावेशी विकास प्राप्त करने योग्य हो। स्वदेशी जागरण मंच इन आठ बिंदुओं पर रचनात्मक एवं नए स्वदेशी अभियान के माध्यम से भारत को एक समृद्ध और महान राष्ट्र बनाने की कल्पना को साकार करने के लिए आने वाले समय में अग्रसर होगा।राष्ट्रीय परिषद की बैठक में देश के सभी प्रदेशों से 380 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह कार्यवाहक कृष्ण गोपाल ने राष्ट्रीय परिषद बैठक के समापन सत्र में संबोधित करते हुए भारत के उत्पादन की ताकत एवं क्षमता को भारत के स्वास्थ्य के आधार पर बढ़ाने को आवश्यक बताया । उन्होंने अन्य देशों के साथ अनावश्यक तुलनात्मक अध्ययन में फंसने की बजाय स्वदेशी आधारित पर्यावरण परक एवं सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों को ध्यान में रखकर किए गए विकास की गति का मूल्यांकन हमारे विकास का मूल्यांकन होना चाहिए। देश में बढ़ रही आर्थिक असमानता इनिक्वालिटी पर भी उन्होंने चिंता जताई 80% भारत की जनता के पास 15 से 20,000 मासिक कमाई है वहीं भारत के कुछ परिवार 6000 करोड रुपए 1 वर्ष में ही कमा लेते हैं यह जो असमानता का भाव बढ़ रहा है उसके मूल्यांकन की आवश्यकता है।भारत में विकास की अवधारणा स्वदेशी की अवधारणा के साथ ही बढ़ सकती है। वर्तमान में नए-नए काम आ रहे हैं इनका प्रशिक्षण लेकर रोजगार पाया जा सकता है। व्यक्ति को गांव एवं कस्बों में ही रोजगार मिले तो वह शहर की ओर नहीं भागेगा। उन्होंने चिंता जताई कि जिस प्रकार भारत के केवल 20.25 शहर ही बढ़ते जा रहे हैं ऐसे में घर परिवार बूढ़े मां-बाप सबको छोड़कर केवल भौतिकवाद के सुख हेतु यदि शहर की ओर पलायन हो रहा है तो यह हमारे जीवन मूल्यों के लिए एक प्रश्न चिन्ह है। जिसका निराकरण भारत में 1500 से 2000 स्थानों को विकसित कर किया जा सकता है, जो अपने आसपास के रहने वाले लोगों को रोजगार प्रदान कर सके। स्वदेशी जागरण मंच के समन्वय में किए जा रहे स्वावलंबी भारत अभियान के सुखद परिणामों की भी कृष्ण गोपाल जी ने प्रशंसा की उन्होंने कहा कि आज युवा अपने उद्यम अपने स्टार्टअप और अपने स्वरोजगार की ओर बढ़ रहा है जो भारत की विकास धारणा के मूल तत्व को प्राप्त करने के समान है। मंच की इस परिषद बैठक में 18 सत्र के माध्यम से देश एवं समाज के 22 से अधिक विषयों पर चिंतन मंथन किया गया। विषय विशेषज्ञों ने अपने.अपने प्रेजेंटेशन भी रखें। प्रदेशों से आए हुए प्रतिनिधियों ने अपने.अपने प्रदेश में किया जा रहे कार्यों की प्रगति समीक्षा भी प्रस्तुत की। राष्ट्रीय परिषद बैठक में प्रथम दिवस राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य बी भागैया जी ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया और छोटे.छोटे उद्योग धंधे, छोटे-छोटे व्यवसाय व्यापार को बढ़ाने प्रोत्साहन देने और उनका संरक्षण करने की वकालत की। मंच द्वारा किए जा रहे कार्य एवं समाज की आवश्यकताओं को देखते हुए कार्यों की गति बढ़ाने का आह्वान भी उन्होंने किया।मंच के राष्ट्रीय संयोजक और सुंदरम संगठन कश्मीरी लाल सहसंयोजक कोलकाता के डॉक्टर धनपत अग्रवाल, दिल्ली के डॉक्टर अश्विनी महाजन, राजकुमार मित्तल, नागपुर के अजय पतकी की स्वावलंबी भारत अभियान के अखिल भारतीय सह समन्वयक भोपाल के जितेंद्र गुप्त मुरादाबाद के डॉक्टर राजीव कुमार एवं सवाई माधोपुर राजस्थान की अर्चना मीणा ने भी सत्रों को संबोधित किया। राष्ट्रीय परिषद बैठक के समापन में छत्तीसगढ़ प्रांत संयोजक जगदीश पटेल एवं मध्य भारत क्षेत्र संयोजक सुधीर दांते क्षेत्र संगठक केशव दुबौलिया ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। राष्ट्रीय परिषद बैठक में मंच ने पर्यावरण चिंतन टोली का भी निर्माण किया जिसमें दीपक शर्मा प्रदीप अमित पद की को जिम्मेदारी दी जो पर्यावरण से संबंधित नीति निर्धारण एवं वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संबंधी घटकों का चिंतन एवं अध्ययन कर भारत की नीति निर्धारण में एवं जन जागरण में इसकी प्रासंगिकता को बढ़ावा देंगे ।

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