छत्तीसगढ़: 6 साल की बच्ची की दवाई ओवरडोज से मौत कब्र से शव निकाल कर की जा रही है जांच ।

By pallav

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के नवजीवन अस्पताल में उल्टी-दस्त की दवा के ओवरडोज से गुरुवार को 6 साल की बच्ची की मौत हो गई।

अब शनिवार को पुलिस ने कार्यपालक मजिस्ट्रेट और फोरेंसिक की मौजूदगी में दफनाए गए शव को कब्र से बाहर निकाला। पंचनामा के बाद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तुमगांव शव का पोस्टमॉर्टम कराया गया।

मामला तुमगांव थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर-8 का है। नेतराम धीवर की बेटी अंकिता धीवर की मौत के बाद परिजनों ने शुक्रवार को शव को तुमगांव गाड़ाघाट चीमनी भट्ट के पास दफनाया था। उसी शाम नगर पंचायत उपाध्यक्ष पप्पू कुमार पटेल, बच्ची के पिता और ग्रामीणों ने कार्रवाई की मांग को लेकर थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। 4 सदस्यीय जांच टीम गठित दरअसल, बच्ची की ओवरडोज से मौत की जानकारी के बाद आनन-फानन में स्वास्थ्य विभाग ने जांच के लिए 4 सदस्यीय डॉक्टरों टीम गठित की। जो इस पूरे मामले की जांच करेगी।

जिसके बाद रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी जाएगी। पार्टनरशिप में चल रहा अस्पताल सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, नवजीवन हॉस्पिटल का लाइसेंस उदयराम साहू के नाम पर है। उदयराम का बेटा प्रवीण साहू RMA है। वो गढ़सिवनी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी के पद पर पदस्थ है। रायपुर के डॉ. शिवम पाण्डेय नवजीवन अस्पताल के MD है। दोनों पार्टनरशिप में तुमगांव-महासमुंद चौक के पास स्थित एक कॉम्प्लेक्स में शटर लगे सभी दुकानों को 30 बिस्तर हॉस्पिटल बनाकर पिछले 6 महीने से चला रहे हैं। नवजीवन अस्पताल पर होगी कार्रवाई नर्सिंग होम एक्ट के नियमों का पालन नहीं करने को लेकर नोडल अधिकारी डॉ. छत्रपाल चंद्राकर से दैनिक भास्कर ने बात की। उनका कहना है कि, जिले में घूम कर जांच करना मुमकिन नहीं है। इसके लिए पांचों ब्लॉक में BMO को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। उनके पास सभी पावर है। जांच के बाद नवजीवन हॉस्पिटल पर कार्रवाई की जाएगी। कब्र से निकाला गया शव अब शिकायत के बाद शनिवार को 11.30 बजे तुमगांव थाना प्रभारी हितेश जंघेल ने कार्यपालिक मजिस्ट्रेट श्रीधर पंडा, फोरेंसिक डिपार्टमेंट के डॉ. लोकेश कुमार सिंह और परिजनों की मौजूदगी में शव को बाहर निकलवाया। जिसके बाद पोस्टमॉर्टम किया गया। रिपोर्ट आने पर ही कुछ बता पाएंगे- BMO सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तुमगांव के BMO डॉ. अनिरुद्ध कसार का कहना है कि, पोस्टमॉर्टम के बाद तुरंत कुछ भी बता पाना मुश्किल होता है। जल्दबाजी में कोई भी ओपिनियन देना कठिन है। FSL रिपोर्ट के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।

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