छत्तीसगढ़ में पिछले 6 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल स्थगित हो गई है। जूडा ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। छत्तीसगढ़ जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने आईएमए रायपुर के अध्यक्ष डॉ. राकेश गुप्ता के नेतृत्व में मंगलवार की शाम सीएम हाउस में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की।
स्वास्थ्य मंत्री ने भी कहा था- जायज है मांग
इसके पूर्व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स के प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, डीएमई और डीन के साथ मुलाकात की थी। स्वास्थ्य मंत्री ने जूडा की मांगों को ध्यान से सुना था। दूसरे राज्यों के स्टाइपेंड को भी देखा और यहां मिलने वाले स्टाइपेंड को कम पाया। उन्होंने जूडा के मांगों को जायज ठहराया था। मामले में कार्रवाई करने के लिए वित्त मंत्रालय से अनुरोध किया था।
चर्चा के बाद हड़ताल स्थगित
इससे पहले हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टर को मनाने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस के संचार विभाग के चेयरमैन सुशील आनंद शुक्ला और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रायपुर के अध्यक्ष राकेश गुप्ता अंबेडकर अस्पताल पहुंचे थे। प्रतिनिधियों से चर्चा के बाद हड़ताल स्थगित करने का फैसला लिया गया।
मरीज हो रहे थे परेशान
पिछले 6 दिनों से प्रदेश के 3000 जूनियर डॉक्टर हड़तार पर बैठे थे। इस दौरान वो न तो सरकारी हॉस्पिटल्स में ओपीडी में शामिल हो रहे थे और न ही किसी तरह की इमरजेंसी में सेवाएं दे रहे थे। डॉक्टरों के ड्यूटी पर न होने से अस्पताल के मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। स्वास्थ्य व्यवस्था भी पूरी तरह से चरमरा गई थी। डॉक्टरों की कमी से जूझ रहे सरकारी अस्पतालों में जूनियर डॉक्टर के भी हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को जरूरी सुविधाएं नहीं मिल रही थी।
ये थी हड़ताल की वजह
जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रेम चौधरी ने कहा कि एमपी और झारखंड से भी कम मानदेय छत्तीसगढ़ के जूनियर डॉक्टर्स को मिलता है। दूसरे प्रदेशों में जहां 90 हजार रुपए तक का फंड है। वहीं छत्तीसगढ़ में 50-55 हजार रुपए ही मिलते हैं। वहीं किसी भी प्रदेश में 4 साल के बॉन्ड नहीं भरवाए जाते हैं। केवल छत्तीसगढ़ में ही ऐसा किया जा रहा है। बीते 4 साल में मानदेय नहीं बढ़ा है। इस वजह से मजबूरन हड़ताल करना पड़ रहा है।