12 साल के बच्चे की 100 बार टूट चुकी हड्डियां छूने तक से टूट जाती हैं हड्डियां

 

 

12 साल का मासूम रोहित, आज हर घंटे असहनीय दर्द सह रहा है। उसकी उम्र तो लगातार बढ़ रही है, लेकिन शरीर आज भी 2-3 साल के बच्चे जितना बड़ा है। कोई उसे प्यार करने या दुलारने के लिए उसके नजदीक जाता है तो भी वह डर से सहम जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह बालक एक जन्मजात बीमारी ऑस्टियोपोरोसिस से जूझ रहा है। इसमें उसकी हड्डियां इतनी कमजोर हो चुकी हैं कि कोई उसे गलत तरीके से सिर्फ छू भर ले तो उसकी हड्‌डी टूट जाती हैं।

 

 

इसके कारण उसे असहनीय पीड़ा होती है। बीमारी के इलाज के लिए परिजन ने कई डॉक्टरों के चक्कर काटे, सालों तक इलाज भी कराया। लेकिन, फायदा नहीं हुआ। रोहित की मां शीला बताती हैं कि उसका जन्म अलीगढ़ के मोहनलाल गौतम जिला महिला चिकित्सालय में हुआ था। जब यह पैदा हुआ तो सामान्य बच्चे की तरह नहीं बल्कि, पोटली के आकार का था, जिससे डॉक्टरों की टीम डर-सी गई। नर्स और स्टाफ भागने लगी, लेकिन वरिष्ठ डॉक्टरों ने जब सभी को समझाया तो फिर स्थितियां सामान्य हुई। फिर अस्पताल की टीम ने रोहित को छुआ।

 

 

रोहित की मां शीला ने बताया कि उसका जन्म अलीगढ़ के मोहनलाल गौतम जिला महिला चिकित्सालय में हुआ था।

रोहित की मां शीला ने बताया कि उसका जन्म अलीगढ़ के मोहनलाल गौतम जिला महिला चिकित्सालय में हुआ था।

शीला ने बताया कि उनके पति मुकेश चंद्र मजदूरी करते हैं। उनके दो बच्चे और हैं, वह दोनों सामान्य हैं। रवेंद्र दिल्ली में नौकरी कर रहा है और राधा अभी पढ़ रही है। रोहित सबसे छोटा है।

 

सारी रात रोता रहा रोहित, टूटी थी कई हड्‌डियां

रोहित के दर्द की कहानी उसके जन्म के साथ ही शुरू हो गई। जन्म के बाद उसे मां के साथ रखा गया। जन्म के कुछ देर बाद से ही उसने रोना शुरू कर दिया और सारी रात रोता ही रहा। दूध पिलाने से भी वह शांत नहीं हो रहा था। सुबह जब डॉक्टर आए और उन्हें इस बात का पता चला तो उन्होंने बच्चे की जांच की। जांच में पता चला कि बच्चे के दोनों पैरों की हड्डियां, एक पसली और एक हाथ की हड्‌डी टूटी थी। इसके बाद उसका इलाज शुरू हुआ।

 

रोहित का इलाज काफी महंगा है, जो उसके परिवार की क्षमता के बाहर है। समय-समय पर लोग उसके परिवार की मदद करते हैं, लेकिन यह काफी नहीं होता है। बीते दिनों समाजसेवी मनोज अलीगढ़ी ने बच्चे के परिवार की सहायता की।

रोहित का इलाज काफी महंगा है, जो उसके परिवार की क्षमता के बाहर है। समय-समय पर लोग उसके परिवार की मदद करते हैं, लेकिन यह काफी नहीं होता है। बीते दिनों समाजसेवी मनोज अलीगढ़ी ने बच्चे के परिवार की सहायता की।

अब तक 100 बार टूट चुकी है हड्‌डी

जैसे-जैसे रोहित बड़ा होता गया, उसकी तकलीफ बढ़ती चली गई। जब भी कोई उसे दुलारने के लिए हाथ में लेता, उसकी हड्‌डी टूट जाती और वह दर्द से रोता है। धीरे-धीरे इस बात का पता डॉक्टरों को चला और उन्होंने परिजनों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद अब सिर्फ मां ही रोहित का ख्याल रखती है और अन्य किसी को उसे छूने भी नहीं देती है। दैनिक क्रियाओं और खाने पीने के लिए वह मां के सहारे ही रहता है।

 

जो पढ़ लेता भूलता नहीं

12 साल का रोहित आज भी घिसटकर ही चलता है। हालांकि, दिमाग का काफी तेज है। जिस चीज को वह एक बार पढ़ लेता है, उसे हमेशा के लिए याद हो जाती है। मोबाइल पर वह तेजी से गेम खेलता है और घर में रहकर किताबें भी पढ़ता है। वह कहता है कि बड़ा होकर अफसर बनेगा और अपने जैसे बच्चों के विकास के लिए काम करेगा।

 

स्कूल में नहीं मिला दाखिला

रोहित ने बताया कि वह पढ़ना चाहता है, लेकिन जब वह एक स्कूल में एडमिशन लेने के लिए गया तो उसे वहां से भगा दिया गया। रोते हुए उसने बताया कि वहां के शिक्षकों ने उसका मजाक भी उड़ाया और कहा कि पढ़ाई लिखाई उसके बस की नहीं है। इसके बाद उसके माता-पिता ने घर पर ही उसे पढ़ाना शुरू किया। पहले उसका भाई उसे पढ़ाता था और अब उसकी बहन उसे पढ़ाती है। बहन भाई के साथ पढ़कर ही वह इतना उत्साहित है कि उसकी आंखों में अफसर बनने का ख्वाब है।

 

दिल्ली में भी नहीं मिला इलाज

 

जन्म के बाद से ही रोहित हर दिन दर्द से गुजर रहा था। पूरे दिन रोता बिलखता रहता था। उसके माता पिता से यह सब देखा नहीं जाता और वह इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काट रहे। अलीगढ़ के सरकारी अस्पतालों से लेकर प्राइवेट अस्पतालों तक उन्होंने डॉक्टरों से मिलकर अपने बच्चे की पीड़ा बताई। मेडिकल कॉलेज में भी उन्होंने विशेषज्ञों से मिलकर अपने बच्चे की पीड़ा बताई, लेकिन उसे इलाज नहीं मिल सका। दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में डॉक्टरों ने बच्चे को देखते ही उन्हें वापस लौटा दिया। इसके बाद से परिजनों ने उसके इलाज की आस ही छोड़ दी।

 

 

बोनमैरो ट्रांसप्लांट से ठीक हो सकता है रोहित

 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के सीनियर मेडिकल ऑफिसर (जेएन मेडिकल कॉलेज) डॉ मोज्जम हैदर ने बताया कि यह एक जन्मजात बीमारी है। जो माता-पिता से ही बच्चों में आ जाती है। रोहित का इलाज अलीगढ़ में संभव नहीं है। इस बच्चे का इलाज दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में ही हो सकता है। इसमें लाखों का खर्च आएगा।

 

बोनमैरो ट्रांसप्लांट के जरिए यह बच्चा ठीक हो सकता है, लेकिन इसमें भी लगभग 25 लाख का खर्च आएगा और एक डोनर की भी जरूरत पड़ेगी। वहीं कुछ दवाइयों से भी इसका इलाज हो सकता है, लेकिन इसमें काफी समय लगेगा और यह इलाज भी काफी महंगा है।