प्रदेश में पहली बार अनोखी हार्ट सर्जरी:6 घंटे में दो बार ऑपरेशन;चीनी मिट्‌टी की तरह सख्त हो गया था दिल का बायां हिस्सा

अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर ने एक ऐसी कामयाब सर्जरी की है जो अब तक छत्तीसगढ़ में नहीं हुई थी। यहां एक ऐसा मरीज पहुुंचा था जिसके दिल का बायां हिस्सा (बायां आलिंद) किसी चीनी मिट्‌टी के बर्तन की तरह सख्त हो चुका था। मरीज के हार्ट में ब्लॉकेज भी थी। करीब 6 घंटे में लगातार डॉक्टर ने दो तरह के ऑपरेशन किए। अब मरीज बिल्कुल ठीक है और जल्द ही इसे अस्पताल से छुट्‌टी भी दे दी जाएगी

 

 

प्रदेश में पहली बार अनोखी हार्ट सर्जरी:6 घंटे में दो बार ऑपरेशन;चीनी मिट्‌टी की तरह सख्त हो गया था दिल का बायां हिस्सा

 

 

छत्तीसगढ़ में पहली बार ऐसा ऑपरेशन

 

अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर ने एक ऐसी कामयाब सर्जरी की है जो अब तक छत्तीसगढ़ में नहीं हुई थी। यहां एक ऐसा मरीज पहुुंचा था जिसके दिल का बायां हिस्सा (बायां आलिंद) किसी चीनी मिट्‌टी के बर्तन की तरह सख्त हो चुका था। मरीज के हार्ट में ब्लॉकेज भी थी। करीब 6 घंटे में लगातार डॉक्टर ने दो तरह के ऑपरेशन किए। अब मरीज बिल्कुल ठीक है और जल्द ही इसे अस्पताल से छुट्‌टी भी दे दी जाएगी।

 

 

प्रदेश के सरकारी अंबेडकर अस्पताल के डॉक्टर कृष्णकांत साहू की टीम ने कामयाब ऑपरेशन किया है। डॉ कृष्णकांत ने बताया कि इस तरह का ये छत्तीसगढ़ का पहला मामला था। डॉ ने बताया कि मरीज का लेफ्ट एट्रियम (बायां आलिंद) हार्ट के शेप से बढ़ रहा था, इसे मेडिकल भाषा में एन्यूरिज्मल जॉइंट लेफ्ट एट्रियम कहा जाता है। मरीज के हार्ट में कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज था, दिल में मौजूद माइट्रल वाल्व और ट्राइकस्पिड वाल्व भी खराब हो गया था जिसे इस ऑपरेशन में बदला गया है।

रायपुर के पिपरौद में रहने वाले 50 साल के मरीज अस्पताल में सांस फूलने और सीने में दर्द, पैर में सूजन की शिकायत लेकर पहुंचे थे। जांच में दिल के बाएं हिस्से के किसी चीनी मिट्‌टी के बर्तन की तरह सख्त होने और ब्लॉकेज का पता चला। छाती के एक्स रे पता चला कि मरीज के दिल का आकार बहुत ही बड़ा हो गया है। सामान्यतः दिल का साइज जितना बड़ा होता है मरीज का हार्ट उतना ही कमजोर होता है, ऑपरेशन के दौरान रिस्क बढ़ जाता है। इसका सी.टी. रेशियो ( Cardiothoracic ratio ) 0.8 से भी ज्यादा था। सामान्य सी. टी. रेशियो 0.4 से 0.5 होता है। इस अवस्था को सीवियर कार्डियोमेगाली ( severe cardiomegaly) कहा जाता है।

 

परिजनों ने कह दिया था नहीं करवाना ऑपरेशन

ऑपरेशन बेहद रिस्की था। एक साथ दो ऑपरेशन करने की बात सुनकर मरीज के परिजनों ने ऑपरेशन करवाने से मना कर दिया था। वो अस्पताल से भी लौट चुके थे। मरीज का कोरोनरी बाईपास और हार्ट वाल्व प्रत्यारोपण किया जाना था। मगर कुछ दिनों बाद मरीज के घर वाले वापस आए और ऑपरेशन के लिए हामी भर दी।

 

पैर की नसें लगाई हार्ट में

इसके बाद टीम ने ऑपरेशन शुरू किया। इस ऑपरेशन में मरीज के दो ऑपरेशन एक साथ हुए । पहले मरीज का कोरोनरी आर्टरी बाईपास किया गया जिसमें पैर की नस को हार्ट की नसों में लगाया गया, उसके बाद मरीज के हृदय को खोलकर (ओपन हार्ट सर्जरी), मरीज के क्षतिग्रस्त माइट्रल वाल्व को निकालकर मेटल का कृत्रिम वाल्व लगाया गया। मरीज के लेफ्ट एट्रियम की दीवार पूरी तरह से कैल्सियम के जमाव के कारण चीनी मिट्टी की बर्तन की तरह सख़्त हो गई थी।

 

डॉ. कृष्णकांत साहू का कहना है कि मेरे 12 वर्ष के अनुभव में लेफ्ट एट्रियम (दिल का) चीनी मिट्टी की तरह सख़्त हो जाने का यह पहला मामला है। इसे हटाया गया। म रीज के दिल के अंदर करीब 100 से 150 ग्राम का खून का थक्का निकाला गया। इस तरह के मरीज को लकवा होने का बहुत ही अधिक चांस होता है। मगर अब मरीज ठीक है, खास बात ये है ऐसी मुश्किल सर्जरी स्वास्थ्य सहायता योजना अंतर्गत पूरी तरह से फ्री में हुई।

 

6 घंटों तक इंपॉसिबल मिशन को इस टीम ने पॉसिबल किया

ऑपरेशन करने वालों की टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू (विभागाध्यक्ष हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी) के साथ डॉ. निशांत सिंह चंदेल, कार्डियक एनेस्थेटिस्ट डॉ. तान्या, कार्डियक परफ्यूशनिस्ट चंदन एवं डिगेश्वर, कार्डियक टेक्नीशियन भूपेन्द्र, नर्सिंग स्टॉफ राजेन्द्र, नरेन्द्र एवं चोवाराम शामिल रहे।

 

NEWS sorse Dainik Bhaskar