बच्चों पर हाथ उठाने से पहले जान लें बैड पैरेंटिंग के ये लक्षण, नतीजे बहुत बुरे

बच्चों को जरूरत से ज्यादा डांटना बैड पैरेंटिंग का लक्षण

बच्चों के प्रति माता-पिता का खराब रवैया उनकी व्यावहारिक और मानसिक स्थित पर बुरा असर डालता है. अंग्रेजी में इसे बैड पैरेंटिंग कहते हैं. कुछ परिजनों को इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन कुछ जानकर भी इसकी परवाह नहीं करते हैं. आइए आज आपको बैड पैरेंटिंग के लक्षण और बच्चे पर इसके दुष्प्रभावों के बारे में बताते हैं.

बैड पैरेंटिंग के लक्षण

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि बच्चों को जरूरत से ज्यादा डांटना बैड पैरेंटिंग का लक्षण है. इसके अलावा हर किसी के सामने बच्चों को अनुशासन में रहने के लिए मजबूर करना भी इसका लक्षण है. बच्चों को बात-बात पर सलाह देते रहना और उसे प्रोत्साहित ना करना भी गलत है. अगर आप बच्चे को गले लगाकर उसे प्यार का एहसास नहीं दिलाते तो वो आपसे इमोशनली डिसकनेक्ट हो सकता है.

 

कुछ माता-पिता बच्चे के लिए नियम की पूरी गाइड तैयार कर लेते हैं. उसे परिवार से वो सपोर्ट ही नहीं मिल पाता है, जिसकी उसे जरूरत है. इतना ही नहीं, वो बात-बात पर उनकी तुलना दूसरों से करने लगते हैं. ये सभी बैड पैरेंटिंग की निशानी हैं. बच्चे की उपलब्धियों पर गर्व ना करना, आलोचना करने की नई-नई तरकीबें खोजना और उसकी भावनाओं की कद्र ना करना खराब परवरिश के लक्षण हैं.

 

 

बच्चों के सामने गलत उदाहरण पेश करना या उसे बहुत ज्यादा पैम्पर करना भी सही नहीं है. इससे बच्चा खुद को दूसरों से अलग करने लगेगा और आगे चलकर इसका असर उसके सोशल नेटवर्क पर भी पड़ेगा. बच्चों में विश्वास ना दिखाना या उसके लिए स्पेशल टाइम ना निकालना भी खराब पैरेंटिंग स्टाइल के लक्षण हो सकते हैं.

 

बैड पैरेंटिंग के नतीजे

बैड पैरेंटिंग की वजह से बच्चे एंटी सोशल बिहेवियर का शिकार हो सकते हैं. ये उनकी सेहत और मानसिक विकास के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. बच्चों में तनाव की दिक्कत बढ़ सकती है. वो बहुत ज्यादा गुस्सैल हो सकते हैं. उनमें सहानुभूति की कमी आने लगेगी. बच्चों के साथ ऐसा व्यावहार उन्हें रिश्तों को निभाने का गलत अभ्यास कराएगा.

 

कैसे बनें अच्छे पैरेंट्स

अच्छे माता-पिता बनने के लिए बच्चों को जिंदगी के सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों के बारे में सीख दें. उन पर बिल्कुल ना चिल्लाएं. गलती होने पर उन्हें शांति के साथ कारण बताएं. बच्चों की बात ध्यान से सुनें. उनके सामने सही उदाहरण पेश करें. उनके साथ मार-पिटाई बिल्कुल ना करें. अच्छे काम के लिए बच्चों को ईनाम और गलती के लिए सजा दी जा सकती है, पर ख्याल रखें कि ये सजा नॉन फिजिकल होनी चाहिए.