छत्तीसगढ़ का चौथा टाइगर रिजर्व कोरिया जिले में बनेगा। यह अचानकमार टाइगर रिजर्व के बाद राज्य का दूसरा बड़ा टाइगर रिजर्व होगा, जो गुरु घासीदास नेशनल पार्क बैकुंठपुर और तमोर पिंगला अभयारण्य (उत्तर सरगुजा वन मंडल) को मिलाकर बनाया जाएगा। बाघों के संरक्षण के लिए बने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के डीआईजी एसपी यादव दो दिन पहले रायपुर आए थे। उन्होंने पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ बीएन द्विवेदी से नए टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव मांगा है।
एनटीसीए के डीआईजी यादव के हालिया दौरे के एजेंडे में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव प्रमुख था। छत्तीसगढ़ राज्य वन्य जीव बोर्ड नए टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव पहले ही पास कर चुका है। एनटीसीए की ताजा पहल से इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक सहमति मिलना लगभग तय माना जा रहा है। डीआईजी यादव ने छत्तीसगढ़ के पीसीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) को टाइगर रिजर्व का प्रस्ताव एनटीसीए को भेजने के लिए कहा है। गुरु घासीदास नेशनल पार्क और तमोर पिंगला अभयारण्य को मिलाकर नया टाइगर रिजर्व बनाने के लिए इसकी सीमाओं का निर्धारण करने की प्रक्रिया शासन स्तर पर तेज कर दी गई है। प्रदेश में वर्तमान में तीन टाइगर रिजर्व, अचाकमार, उदंती सीतानदी और इंद्रावती हैं।
टाइगर रिजर्व बनने से होंगे ये फायदे
– गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि बाघों के संरक्षण के लिए प्रयास तेज होंगे। इसे एनटीसीए से फंड मिलेगा।
– टाइगर रिजर्व के बाघ सहित अन्य वन्यप्राणियों के संरक्षण, संवर्धन के लिए योजनाएं बनाई और चलाई जाएंगी।
– एनटीसीए टाइगर रिजर्व का 10 वर्षीय मास्टर प्लान स्वीकृत करेगा। इसके आधार पर अगले वर्षों में काम करवाए जाएंगे।
– देश के टाइगर रिजर्व के नक्शे में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व को जगह मिलेगी। इससे प्रदेश में पर्यटन का एक और द्वार खुलेगा।
नए टाइगर रिजर्व में है यह सब
गुरु घासीदास नेशनल पार्क कोरिया जिले के बैकुंठपुर सोनहत मार्ग पर पांच किलोमीटर की दूरी पर है। 2001 से पहले यह संजय गांधी नेशनल पार्क, सीधी (मध्यप्रदेश) का हिस्सा था। इसका क्षेत्रफल 1,440 वर्ग किलोमीटर है। पार्क के अंदर हसदेव नदी बहती है और गोपद नदी का उद्गम है। पहाड़ों की शृंखला के अलावा साल, साजा, धावडा, कुसुम, तेंदू के वृक्षों और वनौषधियों से घिरे पार्क में बाघ, तेंदुआ, गौर, चिंकारा, मैना आदि पाए जाते हैं। इसके भीतर 35 राजस्व गांवों में चेरवा, पांडो, गोंड़, खैरवार व अगरिया जनजातियों का निवास है। टाइगर रिजर्व में शामिल होने वाले तमोर पिंगला अभयारण्य का क्षेत्रफल 608 वर्ग किमी है। अंबिकापुर से 94 किलोमीटर दूर यह उत्तर सरगुजा वनमंडल में है। घने जंगलों रेहंड और मोरन नदियों से घिरे होने के कारण यह जगह मनोरम है।
ये होंगे पर्यटन स्थल
अभयारण्य के प्रमुख पर्यटन स्थलों में आमापानी, खेकड़ा माडा हिलटाॅप, गांगीरानी माता की गुफा, नीलकंठ जलप्रपात बसेरा, आनंदपुर, बीजाधुर, सिद्धबाबा की गुफा, च्यूल जलप्रपात, कोहरापाट, छतोड़ा की गुफा आदि शामिल हैं। इसी तरह तमोर पिंगला के पर्यटक स्थलों में देवी झिरिया का मंदिर, बेगाची पहाड़, लेफरी घाट, सुईलना, घोड़ापाट, माल्हन देवी, कुदरु घाघ और केदू झरिया आदि शामिल हैं।
शासन से इसी महीने भेजा जाएगा प्रस्ताव
नया टाइगर रिजर्व दो अभयारण्य से मिलकर बनेगा। इसका एरिया 2,044 वर्ग किमी होगा। एनटीसीए के डीआईजी ने प्रस्ताव मांगा है। शासन से इसी महीने प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। -बीएन द्विवेदी, पीसीसीएफ(वाइल्ड लाइफ)
एटीआर से नए रिजर्व तक बन जाएगा कॉरिडोर
बाघों की अपनी टेरिटरी होती है। वे लगातार मूवमेंट करते हैं। वर्तमान में कान्हा से एटीआर तक 115 किमी एरिया को टाइगर कॉरिडोर चिह्नांकित किया गया है। गुरु घासीदास नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व बनाने के बाद काॅरिडोर एटीआर से मनेंद्रगढ़, बांधवगढ़, पलामू होते हुए नए टाइगर रिजर्व से जुड़ेगा। बाघों के संरक्षण, संवर्धन के प्रयासों को नए आयाम मिलेंगे। –
