महीने में 50 लाख रुपये से ज्यादा के टर्नओवर वाले व्यवसायों को एक फीसदी वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) देनदारी का भुगतान अनिवार्य रूप से कैश में करना होगा. जाली बिल (इन्वॉयस) के जरिये टैक्स चोरी रोकने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है.
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने जीएसटी नियमों में नियम 86बी पेश किया है. यह नियम जीएसटी देनदारी को 99 फीसदी तक ही निपटाने के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के इस्तेमाल की सीमा तय करता है.
सीबीआईसी ने बुधवार कहा, ”किसी महीने में टैक्सेबल सप्लाई का मूल्य 50 लाख रुपये से अधिक होने पर कोई भी रजिस्टर्ड व्यक्ति इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में उपलब्ध राशि का इस्तेमाल 99 फीसदी से अधिक टैक्स देनदारी को पूरा करने के लिए नहीं कर सकता है.”
कारोबार की सीमा का कैलकुलेशन करते समय जीएसटी छूट वाले उत्पादों या शून्य दरों वाली सप्लाई को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा. हालांकि, कंपनी के एमडी या किसी भागीदार ने अगर एक लाख रुपये से अधिक का इनकम टैक्स दिया है या रजिस्टर्ड व्यक्ति को इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान इस्तेमाल न हुए इनपुट टैक्स क्रेडिट पर एक लाख रुपये से अधिक का रिफंड मिला है, तो यह अंकुश लागू नहीं होगा.
ईवाई के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार ने हर महीने 50 लाख रुपये से अधिक के टैक्सेबल टर्नओवर वाले व्यवसायों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिये टैक्स देनदारी के भुगतान को 99 फीसदी तक सीमित किया है. जैन ने कहा, ”इस कदम का मकसद कंपनियों को जाली बिलों के जरिये आईटीसी का दुरुपयोग करने से रोकना है.
