करोना वैक्सीन पर फर्जी अफवाह को रोकना सबसे बड़ी चुनौती -विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO)।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने गुरुवार को कहा कि कोरोना वायरस के टीके को फर्जी सूचनाओं से बचाना चुनौती बन गया है। वैश्विक निकाय ने टीके पर भ्रम फैलाने वाली सूचनाओं के बढ़ते प्रसार को लेकर चिंता जताई है। डब्लूएचओ का कहना है कि कोरोना काल में फर्जी सूचनाओं की तादाद इतनी बढ़ गई है कि यह महामारी (पेंडेमिक) के जैसा ही एक तरह का ‘इंफोडेमिक’ है, जिसके चपेट में लाखों लोग आ रहे हैं। अगर समय रहते इसे नहीं रोका गया तो लोग भ्रम में फंसकर कोरोना का टीका लगवाने से घबराएंगे, जिससे कोरोना के खिलाफ दुनिया की लड़ाई और मुश्किल हो जाएगी।

सोशल मीडिया पर तेज हुआ टीका विरोधी अभियान :
पिछले 10 महीनों में सोशल मीडिया पर टीका विरोधी अभियानों ने जोर पकड़ा है। लंदन स्थित सेंटर ऑफ काउंटिंग डिजिटल हेट की रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि में सोशल मीडिया पर सक्रिय टीका विरोधी खातों में 80 से 90 लाख और फॉलोअर बढ़ गए। रिपोर्ट में कहा गया कि टीके के खिलाफ गलत जानकारी फैलने से लोगों में इसको लेकर विश्वास घटेगा।

वैज्ञानिक अध्ययनों ने भी चेताया

शोध 1. भ्रम फैलाने का टीकाकरण पर असर पड़ा :
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुए एक अध्ययन से पता लगा कि टीके के विरोध में चलने वाले सोशल मीडिया अभियानों का उसके टीकाकरण पर असर पड़ता है। शोधकर्ता स्टीव विल्सन का कहना है कि इस तरह कोरोना का टीका लगवाने को लेकर लोगों में डर बढ़ेगा।



शोध 2. कोरोना पर झूठ फैलाने में ट्रंप की भूमिका
अमेरिका के कॉर्नेल विश्वविद्यालय के एक अध्ययन में पाया गया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप महामारी के दौरान कोविड -19 पर गलत सूचनाएं फैलाने में दुनिया में सबसे बड़े संचालक साबित हुए। शोध में पाया गया कि टीके को लेकर चला रहा दुष्प्रचार पहले वायरस के खिलाफ जारी था।



शोध 3 : अधिकांश आबादी टीका लगवाने को राजी नहीं

अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग रिसर्च फर्म आईपीएसओएस के अक्तूबर में किए सर्वे के मुताबिक, फ्रांस में 54%, अमेरिका में 44%, कनाडा में 32% लोग ही कोरेाना का टीका लगवाने को राजी हैं। यानी ज्यादातर देशों में आबादी का बड़ा हिस्सा टीके को लेकर आशंकित है।

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